Saturday, 14 January 2017

Women's Pain (Cancellation of a Life event)

आज खड़ी हूँ मैं,
सहमी सी कही,
लिए अपनी ज़िन्दगी,
जो खुशहीन हो चली।

नई ज़िन्दगी की दस्तक,
अब खोई हैं कहीं,
खुशियों की सौगात,
क्यों ओझल हो चली।

दुनियां पूछ रही सवाल,
करके मुझको लाचार,
जवाब की लिए तालाश,
खुद से ही पूछ रही मैं,
अभी अंगिनत सवाल ।

लिए समय की दरकार
बवंडर मैं खोई सी खड़ी,
अपनी दिनचर्या से अंजान,
बेजान सी पड़ी ।।

हूँ मैं भी अभी,
खुद से अनजान,
दुनियां से दूर,
अपनी खुद की ज़िन्दगी में ही,
बनके मेहमान ।।

By : Vaibhav Bhardwaj Sharma

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