Wednesday, 27 May 2020

"चल रही एक महामारी"

चल रही एक महामारी,
उसपर भभक्ते दिन है भारी ।
देश थामके, की थी जो तैयारी,
अब विफल हो रही, बारी-बारी ।।
अम्फान (Cyclone) खेला, संग बंगाल खाड़ी,
टिड्डियों का झुंड, हुआ देश पे भारी ।
उत्तराखंड (जंगल आग) लिए असत्य कहानी,
बंगलुरु भी गूंजा, परिक्षण (IAF) की ज़ुबानी
(रहस्यमय आवाज़) ।।
भूकंप की दस्तक़, अब आंख मिचोली,
नेहपाल बोला, अब चीन की बोली ।
Trumph की नियत (मध्यस्थता) लगी, आज भी खोटी,
पाकिस्तान सेख रहा, भू-राजनीतिक रोटी ।।
दूर चल रहा इंसबसे, श्रमिक अनजान,
पल-पल बढ़ रहा, अपने गन्तव्य के लिए, दिनरात ।
होके सरकारो की बेसुदगी से दूर,
थामके फरिश्तों की, दयालुता की डोर ।।
पर सवाल जो कल था, आज भी है खड़ा,
चल रही महामारी, क्या बनी रहेगी सजा ?
देश थामके, की थी जो तैयारी,
अब क्या रियातो संग,
विफलता बढ़ाएगी, बारी-बारी ??
Witten By : Vaibhav Bhardwaj Sharma

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"चल रही एक महामारी"

चल रही एक महामारी, उसपर भभक्ते दिन है भारी । देश थामके, की थी जो तैयारी, अब विफल हो रही, बारी-बारी ।। अम्फान (Cyclone) खेला, संग...