Thursday, 18 August 2016

Dedicated to my ज़िन्दगी "Papa" Mr. Dinesh Kumar Sharma !!

कहीं खो गए वो पल,
बिन कहे अलविदा, उस पल ।
पूछे आज भी, सवाल ?
हारी कैसे ज़िन्दगी, तुम उस पल ?

भागा जब ज़िन्दगी को लिए,
ज़िन्दगी की आखरी रणभूमि, के लिए ।
हुआ एक अजिब सा आभाव,
जैसे छोड़ आया ज़िन्दगी को, किसी मोक्ष-द्वार ।।

खड़ा था जब उस पल,
सकारात्मकता संग लिए।
तब लड़ रही थी ज़िन्दगी,
यमराज से ज़िन्दगी के लिए।।

चल रहा था बस ये, उसपल।
नहीं होगा कुछ उथल-पतल
फिर हुआ क्यों वो कड़वा आभाव सच,
हारी ज़िन्दगी क्यों, पलक-झपक।।

हुई जब ज़िन्दगी की ख्वाशे पूरी,
नहीं थी वो साथ।
पर खोके भी इस ज़िन्दगी से,
कर गई जीवन मैं,कुछ चमत्कार ख़ास।।

आज भी है वो,
दूर रह के भी हरपल पास,
संग लिए उनकी दी हुई ज़िन्दगी,
और हर पल मैं उनका एहसास ।।

"Friendship & Society"

ज़िन्दगी के है,अनोखे कमाल,
करती दोस्ती पे, क्यों ये सवाल ?
हरपल ढुंढाती अंगिनत मतलब,
जब करे हम दोस्तों के लिए, कुछ करतब ।।
अंगिनत मतलब के, अंगिनत बवाल,
पुछवाते दोस्तों से आपस मैं सवाल ?
क्या है इस दोस्ती मैं कमाल,
जो है, ज़िन्दगी को इतना मलाल ।।
रहती थी, जो बेखौफ दोस्ती,
समाज के सवालो से बनी, रहस्मय दोस्ती ।
करती इंतज़ार, ओझल हो समाज,
आपस मैं हो सके, कुछ वार्तालाप ।।
ना करो दोस्ती पे बवाल,
हर दोस्ती, नहीं साथ लाती सवाल ।
कुछ दोस्ती होती जरूर है खास,
फिर भी क्यों खो ही जाती, समाज की मानसिकता के साथ ??

Anger‬

शब्दों से खेलता हूँ,
शब्दों मैं ही उलझ जाता हूँ।
जुबां से मिठास नहीं
क्यों, क्रोध घोल जाता हूँ ?
दुनिया की महफ़िल मैं,
अपनों को खो देता हूँ ?
भुलाके दुनिया,
क्यों, शब्दों से वार कर जाता हूँ ?
जब जानते हो मुझे,
एक हँसमुख इंसान की तरह,
ना जानो अब,
क्रोध मैं खोए शैतान की तरह ।
डरता हूँ, कहीं खो ना दू ?
जो है, हरपल ख़ास !
ज़िन्दगी मैं उन्हें, ना मिलने वाले,
कसी, ख्वाब की तरहा !
बदलूंगा, ये जनता हूँ !
कुछ पल और तो रुको,
दिल से अभी,
ना टूटे, बस ये डोर कही !!

#‎MissingTalent‬

क्यों खोया वो हूनर
जीवन की उलझनो मैं,
लिए बेबाक अंदाज़,
मंज़िल के पर्चिनो से।
वो कला का भवन्दर,
क्यों है मन के अंदर ?
करो फिर वो कमन्दर
ना बनाओ इस हूनर को खण्डर ।
खोता नहीं हूनर,
कलाकारों का कहीं ।
जीवन की व्यास्ता मैं,
बस झाकता है कहीं ।।
ना ढूंढ़ो खुशियां ,
दुसरो के इशारो से,
बस एक बार खोलो,
वो कला के पिटारे को !!
है सबमे कला,
है सबमे हूनर ।
बस ढूंढना है वो पल,
और वो सफ़र ।।

Dedicated to ‪#‎BestFnd‬ !!!

बढ़ी ज़िन्दगी तेरी,
एक नए सफ़र पर
अपनों को पीछे छोड़
एक नई डगर पर ।।
लिए मुस्कराहट,
और सवाल लबो पर,
क्या होगा जीवन ?
उस नई डगर पर ।।
बेबाक अंदाज़,
ख़ुशनुमा मिज़ाज,
रही तू हमेशा,
जीवन मैं बिंदास ।।
बिताए हमने पल,
बहुत से खास ।
कहीं तूतू -मैं मैं,
कहीं मुसीबत का साथ ।।
रहे ये दोस्ती,
जीवन मैं हमेशा ख़ास,
ना बदले कोई सफ़र,
ना इसे बदले कोई डगर ।।
और तू भी रहे हमेशा,
ऐसी ही बिंदास,
ना तू बदलना कोई अंदाज़,
ना ही बदलना कोई मिजाज़ ।।

"चल रही एक महामारी"

चल रही एक महामारी, उसपर भभक्ते दिन है भारी । देश थामके, की थी जो तैयारी, अब विफल हो रही, बारी-बारी ।। अम्फान (Cyclone) खेला, संग...