Thursday, 18 August 2016

"Friendship & Society"

ज़िन्दगी के है,अनोखे कमाल,
करती दोस्ती पे, क्यों ये सवाल ?
हरपल ढुंढाती अंगिनत मतलब,
जब करे हम दोस्तों के लिए, कुछ करतब ।।
अंगिनत मतलब के, अंगिनत बवाल,
पुछवाते दोस्तों से आपस मैं सवाल ?
क्या है इस दोस्ती मैं कमाल,
जो है, ज़िन्दगी को इतना मलाल ।।
रहती थी, जो बेखौफ दोस्ती,
समाज के सवालो से बनी, रहस्मय दोस्ती ।
करती इंतज़ार, ओझल हो समाज,
आपस मैं हो सके, कुछ वार्तालाप ।।
ना करो दोस्ती पे बवाल,
हर दोस्ती, नहीं साथ लाती सवाल ।
कुछ दोस्ती होती जरूर है खास,
फिर भी क्यों खो ही जाती, समाज की मानसिकता के साथ ??

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