आज कुछ गलत थे हम,
अपनों की भीड़ मैं अकेले थे हम,
लिए दिल मैं बहुत कुछ
कह ना सके क्यों अपनों से, अपनी बात हम ।
अपनों की भीड़ मैं अकेले थे हम,
लिए दिल मैं बहुत कुछ
कह ना सके क्यों अपनों से, अपनी बात हम ।
रिश्तों की,
वो प्यारी सी डोर,
खोई सी लगती है,
अब ना जाने किस ओर।
वो प्यारी सी डोर,
खोई सी लगती है,
अब ना जाने किस ओर।
वापस बंधे, फिर उसे किसी पहर,
भुलाके दिल का सब जहर ।
भुलाके दिल का सब जहर ।
आरज़ू ! ये हम दिल मैं लिए,
फिर भी, क्यों अपनी मंज़िल को जिए ।
आए कोई बिरहा, तो संग है खड़े,
फिर भी चले, संग ये पत्थर दिल लिए ।
फिर भी, क्यों अपनी मंज़िल को जिए ।
आए कोई बिरहा, तो संग है खड़े,
फिर भी चले, संग ये पत्थर दिल लिए ।
हटाते ही, ओपचारिक्ताओ का पर्दा,
एकदूसरे से कैसे लिपट जाते हैं, हम।
बरसो की अनबन को
पल भर मैं यूहीं भुल जाते है, एक मुस्कराहट पर हम ।
एकदूसरे से कैसे लिपट जाते हैं, हम।
बरसो की अनबन को
पल भर मैं यूहीं भुल जाते है, एक मुस्कराहट पर हम ।
एक बार, सिमटते रिश्तों के खत्म होते अस्तित्व को बचके तो देखो
एक बार, पैसो को भुलाके,
रिश्तों को जी के तो देखो ।
छोड़के तो देखो, एक बार !
पहले आप-पहले आप वाली हट।
और ना रखो दिल मैं, छोटे-बड़े वाली रट ।
एक बार, पैसो को भुलाके,
रिश्तों को जी के तो देखो ।
छोड़के तो देखो, एक बार !
पहले आप-पहले आप वाली हट।
और ना रखो दिल मैं, छोटे-बड़े वाली रट ।
छोटी सी ज़िन्दगी मैं,
बहुत कुछ है खोने को,
मुश्किल है, तो वो है,
अपनों को पाना ।
सबकुछ यही है छुट जाना,
अपनों की दुआओं के संग, इस दुनिया से एकदिन सबने है चले जाना।
बहुत कुछ है खोने को,
मुश्किल है, तो वो है,
अपनों को पाना ।
सबकुछ यही है छुट जाना,
अपनों की दुआओं के संग, इस दुनिया से एकदिन सबने है चले जाना।
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