Thursday, 17 December 2015

When we are missing our close friends !!

युहीं क्यों मुख मोड़ रही है ज़िन्दगी,
जो थी कभी यारो से सजी ।
अपनी दुनिया मैं होके मह्श्गुल, ये ज़िन्दगी,
यारो को क्यों बीच मंझदार में, छोड़ चली ।।
थे जो हर पल साथ,
मुसीबत मैं थामे वो हाथ ।
गलती पे गालियों की बरसात,
हर ख़ुशी पे लिए वो जश्न भरी रात ।।
आज फिर लिए उनसे मिलने की आस,
ना जाने किये कितने प्रयास।
हरपल लिए वही पुराना लाप,
(I am busy, next time pakka)
जिनसे होती थी कभी, घंटो वार्तालाप ।।
क्या है ये कोई नियति ?
या है ज़िमेदारियो मैं कही खोई ज़िन्दगी,
या समाज से लुप्त दोस्ती।।
है ये जो भी,
है अब बस थमी सी ज़िन्दगी ।
यारो के संग बिताए लम्हों मैं कहीं खोई सी,
ये तन्हा ज़िन्दगी ।।
By: Vaibhav Bhardwaj Sharma

No comments:

Post a Comment

"चल रही एक महामारी"

चल रही एक महामारी, उसपर भभक्ते दिन है भारी । देश थामके, की थी जो तैयारी, अब विफल हो रही, बारी-बारी ।। अम्फान (Cyclone) खेला, संग...