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उंगली थामे हम चले,
बेख़ौफ़,बेख़बर हर डगर पे ।
मंज़िल से अंजान,
बिंदास चले,ज़िन्दगी के हर सफ़र में ||
बेख़ौफ़,बेख़बर हर डगर पे ।
मंज़िल से अंजान,
बिंदास चले,ज़िन्दगी के हर सफ़र में ||
हर पल मिला आपका साथ,
थामे हम संस्कारो का हाथ ।
बढ़े हर मंज़िल की ओर,
लिए संग आपके अनुभव की डोर ।।
थामे हम संस्कारो का हाथ ।
बढ़े हर मंज़िल की ओर,
लिए संग आपके अनुभव की डोर ।।
छूटी उंगली,
टूटी, यूहीं ज़िन्दगी की डोर ?
जिंदगी में मेरी,
बिन कहे क्यूँ आई वो शाम सबसे घनघोर?
टूटी, यूहीं ज़िन्दगी की डोर ?
जिंदगी में मेरी,
बिन कहे क्यूँ आई वो शाम सबसे घनघोर?
जब चला मैं करने पंच तत्व में विलीन,
करके अनसुनी बिरह की हर चीख़ ।
रूठे आंसू, खामोश आँखों के संग
बदला हुआ था, इस नयी परिस्तिथि में मैं हर ढंग।
करके अनसुनी बिरह की हर चीख़ ।
रूठे आंसू, खामोश आँखों के संग
बदला हुआ था, इस नयी परिस्तिथि में मैं हर ढंग।
ढूंढता रहा वो कंधा,
लगाये गले जो एकपल,
बिना जिम्मेंदारी के अहसास के,
सीने से कुछ क्षण ।।
लगाये गले जो एकपल,
बिना जिम्मेंदारी के अहसास के,
सीने से कुछ क्षण ।।
है आज भी लिए अनगिनत यादें ,
लिए संग खटी-मीठी नोक-झोक वाली बातें ।
ना माने ये दिल, की कहीं चले गए आप
क्योंकि,आज भी मेरी दुनिया के हर अहसास मैं बस्ते हो आप ।।
लिए संग खटी-मीठी नोक-झोक वाली बातें ।
ना माने ये दिल, की कहीं चले गए आप
क्योंकि,आज भी मेरी दुनिया के हर अहसास मैं बस्ते हो आप ।।
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