Wednesday, 30 August 2017

"ज़िन्दगी किसी दिन, यूहीं रूठ जाएगी-Life is Uncertain"

ज़िन्दगी किसी दिन,
यूहीं रूठ जाएगी,
हस्ती हमारी,
बातों में याद आएगी ।
वादे ज़िन्दगी से,
अधूरे रह जाएंगे,
जब हम ज़िन्दगी में,
हमेशा के लिए सो जाएंगे ।।
कुछ चाहने वाले,
आंसुओ संग खो जाएंगे।
ना चाहने वाले भी,
उसदिन, अचानक प्यार दिखाएंगे ।।
कहीं हमारी तस्वीर,
हार संग, सज जाएगी।
कहीं हम खुद, किसी की ज़िंदगी में,
बिन तस्वीर घर बनाएंगे ।।
किसी की ज़िंदगी में
हमेशा यादो संग, बस जाएंगे ।
किसी की ज़िंदगी में,
बस बातें बनके रह जाएंगे ।।
हम भी उसदिन,
अपनी ही महफ़िल सजाएंगे ।
जिसदिन हम ज़िन्दगी से,
युहीं रूठ जाएंगे ।।

"अच्छा लगता है,अकेला रहता हूँ जब- Good to be Alone "

अच्छा लगता है,
अकेला रहता हूँ जब ।
दूर था जो खुद से,
समझा हूँ, खुदको अब।।
जिता था जो ज़िन्दगी,
औरो के लिए जब ।
भुलाके अपनी इच्छाये,
उनकी खुशी के लिए, सब ।।
कही ज़िन्दगी के बिना कुछ कहे,
जान लेता था, सब ।
कही किसी अपने की जरूरत में,
जबरदस्ती मदत्त बन जाता था, जब ।।
कहीं एक छोटी सी भूल
ले गयी थी ज़िन्दगी से,
वो खास दोस्त और बहन, जब।।
कही नवाजती है ज़िन्दगी मुझे,
भाई और कंधे की उपाधि से, अब ।
कही ज़िन्दगी में उलझे खास दोस्त,
बनाते है ना मिलने के बहाने, जब ।
कही होने लगी है ज़िन्दगी, दूर उनसे,
जहाँ बढ़ने लगी है, औपचारिकत अब ।।
औरो के लिए ज़िन्दगी जीना,
बन रहा है सवाल, जब ।
खुदमे जीना, ले आया है,
ज़िन्दगी में एक नया फलसफा, अब ।।
अच्छा लगने लगा है,
युहीं तन्हाई में, अब ।
ज़िन्दगी की कशमकश से दूर,
जिता हूँ खुदके लिए अब ।।

"इश्क़ में लोगो को, बदलते हुए देखा है।"

इश्क़ में लोगो को,
बदलते हुए देखा है।
खोई हुई राहो पे,
खुद में खोया हुए देखा है ।।
लवजो से खामोश,
आंखों से बयां होते देखा है।
प्यार के इन्तज़ार में,
तन्हाई से रूबरू होते देखा है ।।
जुनून के सुलगते अंगारो पे,
एक आशिक को कलाकार बनते देखा है।
मंजिल से दूर,
ख्वाबो से आशिकी करते देखा है।।
बेजुबान वादों में,
खुदसे लड़ता हुआ देखा है।
किसी की चाहत में,
खुद को सवाल बनते देखा है ।।
खोए हुए नाम को
शोहरत बनते देखा है।।
किसी आरज़ू को
दूआ बनते देखा है।।
कोई अधूरी रहा पे,
मंज़िल टटोलते देखा है ।।
इश्क़ में मैंने लोगो को,
युही बदलते हुए देखा है ।।

भुला मैं अपनी हस्ती - A married Man"

लिए अपनी अंश,
चला था मैं नए सफ़र पे।
भुलाके अपनी हस्ती,
समर्पित, उसपे हर डगर ।।
सजाए उसके ख्वाब,
भूला मैं अपनी हस्ती।
उसकी ज़िन्दगी के लिए,
भुलाके, वो यारो वाली मस्ती ।।
थी एक अद्भुत हस्ती
जो थी हर महफ़िल की शान,
आत्मविश्वास से सम्पूर्ण,
कला का परचम लहराए ।।
लिए हर रोज जशन
घड़ी से बेखोफ,
यारो की टोली लिए,
करते थे रातभर मटरगस्ती ।।
पर हूँ मैं अब बस,
काम मे मशगूल,
ज़िमेदारियो की मुस्कुराहट को,
ज़िन्दगी की सफलता से सजाये ।।

"था एक अलग इंसान-A feeling of a married women"

था एक अलग इंसान
जब मिली थी पहली बार ।
आज बन रहा है, पहेली,
जब हूँ मैं, बनके अर्धागिनी साथ।।
सजाए अनेको ख्वाब,
चली मैं जब पिया के द्वार।
सजाए खड़ा था महफ़िल
लिए बेशुमार प्यार।।
पलको में सजाए,
हुईं नई जिंदगी की शुरुआत।
मिला सबका आशीर्वाद,
और जीवन में एक अद्भुत साथ।।
हुई जब ज़िमेदारियो से मुलाकात,
खोने लगी वो पुरानी वाली बात ।
छोटी सी नोकझोक पे,
होने लगी बातें दो-चार ।।
था वो साथ,
जो छुपाता था,
मेरी हर गलत बात।।
आज खड़ा है बदला सा,
अपनी हर खाता में,
मुझको इल्ज़ाम से, सजाए ।।
है अलग ये इंसान,
जिसे मिली थी पहली बार।
आज होके भी साथ,
कुछ अधूरी सी है बात।।

"Night Riders-रात की वो टोली"

है रात की वो टोली,
लिए अलग सी बोली ।
करती ख्वाबो से वो,
हररोज आंखमिचोली !!
कोई क़ैदी आशिकी का,
कोई दिनचर्या का मारा ।
कोई लिए जमघट दोस्ती का,
कोई यूहीं तन्हा, बेसहारा।।
है कोई गम से गमहिंन,
आंखों में लिए बातें ।
है कोई ख़ुशी से मदमस्त,
ज़िन्दगी की दास्तां बाटे।।
है परीक्षार्थी भी साथ,
मध्यरात्रि की शरण में ।
लिए नव किरण से पहले,
सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का रट्टा मारे ।।
और है कुछ रचनाकार,
कला की पोटली लिए ।
समाज के शोरगुल से अलग,
रात्रि में अपनी कला को निखारे ।।
है अलग सी ये पहर,
है अलग सी ये दिनचर्या ।
बड़ो की मानसिकता से अलग,
रात्रि में ख्वाबो की खिड़की झांकेे ।।

Wednesday, 16 August 2017

"I am missing the older me, in the world of my new life"

Being the fragrance of life,
creating the world, for my life;
with the essence of the love,
and leaving the desires behind.

Cherishing the moments, I get,
with the grace of the God,
and the blessings that I am blessed with,
from the creator of my life.

Glorifying my new life,
with the days that I dreamt,
but with every passing day,
I am losing the real me, behind.

I am not the same crazy one,
that I was.
rather I am missing the older me,
In the world of my new mature life.

Life is not fake,
Nor its unreal,
But has put me in that space,
Which is taking me away; from my “life”.

I am happy as I was,
I am enjoying more than what I was,
But I am missing the older me,
In the world of my new life.

"Independent we are, Freedom we demand"

Independent we are,
Freedom we demand,
from the complexities of life
and the negativity, in which we are.

Living the life,
That our closed ones ’demand,
Losing the essence,
and the happiness we want.

Bounded with the thoughts,
that we are also part,
Blaming the situations,
without analyzing other’s part.

Going with the flow,
Without evaluating, what life demand,
Losing the reality,
and the humanity, that life demand.

Independent we are,
Freedom we demand,
from the society, we live in,
and the mindset, in which we are.

Wednesday, 9 August 2017

धार्मिकता

धार्मिकता ओझल हुई,
नए युग की दिनचर्या से कहीं ।
तर्क-वितरक की ज़िंदगी जीए,
आस्था से मुख मोड़े खड़ी ।
है पुर्वजो की दास्तान सजी,
हर भोर नई जिंदगी लिए ।
और है एक दिनचर्या विपरीत,
हर भोर, पुरानी दिन की समाप्ति लिए।।
है क्या ? नवयुग परम्पराओ से दूर,
ज़िन्दगी की पहेलियों में, कही ।
या ना चाहकर भी,
वक्त के चक्रव्यूह ने किया,
अपनो से दूर, कहीं।
कही है आस्था अद्भुत,
है कही औपचारिकता सजी।
कही खुशियो को ढूंढती ज़िन्दगी,
और कही ज़िन्दगी,
हर परिस्थिति में मुस्कुराती दिखी ।।
है ये अनसुलझे सवाल
तर्क-वितर्क के तराजू में सजे
है सब सही,
अपनी ज़िंदगी में कही,
जबतक चल रही ज़िन्दगी,
नाक्रमकता से दूर ।
अपनो की जरूरतों के लिए,
ज़िन्दगी को ढूंढती ज़िन्दगी ।

ज़िन्दगी की कशमकश

मुसीबत से रूबरू
ज़िन्दगी हरपल रही
बिन कहे,जीवन की कशमकश,
संग चलती रही ।।
परेशानियों के संग
हस्ती मैं चली,
बिन पूछे रब से सवाल
बवंडर की सहेली, हूँ बनी।।
मुस्कुराके मिली,
जब भी अपनो से मिली।
मुसीबत को छुपाए,
ज़िन्दगी की महफ़िल में, कहीं ।।
और कभी होके हताष,
चली जब मैं,
सहनशीलता से मुख मोड़?
परिपक्व थी खड़ी,
ज़िन्दगी की महफ़िलो में कही।
लिए वही ज़िन्दगी,
जो अब आदत सी बनी ।।

Friday, 19 May 2017

TRAUMA-"Don't make it a part of life"


Life has its own experience, some will cherish you with happiness and others welcome you with their sconrnfulness. Some will accompany you with bunch of well wishers and for others you have to be your own Knight.
In the same way TRAUMA is something which can't be cure or quickly fix by the world. Its you, who have to take further steps to get back to the one, that you were. Incidents happen for a reason, don't hold them for long. Nor make them a part of your daily rituals because, if that would be a case, then you aren't pleasing yourself with the same happiness that you are habitual off.
"Bad times are not there to be part of your life, they are there to fix your life" Once they will accomplished there task, they will move on to a different life by gifting you a more mature life.
And for a new life you have to break the boundaries of your Traumatized life, make yourself realize that life is not about holding it for a time rather enjoy it, without welcoming the negative vibes.

Saturday, 14 January 2017

Women's Pain (Cancellation of a Life event)

आज खड़ी हूँ मैं,
सहमी सी कही,
लिए अपनी ज़िन्दगी,
जो खुशहीन हो चली।

नई ज़िन्दगी की दस्तक,
अब खोई हैं कहीं,
खुशियों की सौगात,
क्यों ओझल हो चली।

दुनियां पूछ रही सवाल,
करके मुझको लाचार,
जवाब की लिए तालाश,
खुद से ही पूछ रही मैं,
अभी अंगिनत सवाल ।

लिए समय की दरकार
बवंडर मैं खोई सी खड़ी,
अपनी दिनचर्या से अंजान,
बेजान सी पड़ी ।।

हूँ मैं भी अभी,
खुद से अनजान,
दुनियां से दूर,
अपनी खुद की ज़िन्दगी में ही,
बनके मेहमान ।।

By : Vaibhav Bhardwaj Sharma

"चल रही एक महामारी"

चल रही एक महामारी, उसपर भभक्ते दिन है भारी । देश थामके, की थी जो तैयारी, अब विफल हो रही, बारी-बारी ।। अम्फान (Cyclone) खेला, संग...