Wednesday, 30 August 2017

"अच्छा लगता है,अकेला रहता हूँ जब- Good to be Alone "

अच्छा लगता है,
अकेला रहता हूँ जब ।
दूर था जो खुद से,
समझा हूँ, खुदको अब।।
जिता था जो ज़िन्दगी,
औरो के लिए जब ।
भुलाके अपनी इच्छाये,
उनकी खुशी के लिए, सब ।।
कही ज़िन्दगी के बिना कुछ कहे,
जान लेता था, सब ।
कही किसी अपने की जरूरत में,
जबरदस्ती मदत्त बन जाता था, जब ।।
कहीं एक छोटी सी भूल
ले गयी थी ज़िन्दगी से,
वो खास दोस्त और बहन, जब।।
कही नवाजती है ज़िन्दगी मुझे,
भाई और कंधे की उपाधि से, अब ।
कही ज़िन्दगी में उलझे खास दोस्त,
बनाते है ना मिलने के बहाने, जब ।
कही होने लगी है ज़िन्दगी, दूर उनसे,
जहाँ बढ़ने लगी है, औपचारिकत अब ।।
औरो के लिए ज़िन्दगी जीना,
बन रहा है सवाल, जब ।
खुदमे जीना, ले आया है,
ज़िन्दगी में एक नया फलसफा, अब ।।
अच्छा लगने लगा है,
युहीं तन्हाई में, अब ।
ज़िन्दगी की कशमकश से दूर,
जिता हूँ खुदके लिए अब ।।

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