था एक अलग इंसान
जब मिली थी पहली बार ।
आज बन रहा है, पहेली,
जब हूँ मैं, बनके अर्धागिनी साथ।।
जब मिली थी पहली बार ।
आज बन रहा है, पहेली,
जब हूँ मैं, बनके अर्धागिनी साथ।।
सजाए अनेको ख्वाब,
चली मैं जब पिया के द्वार।
सजाए खड़ा था महफ़िल
लिए बेशुमार प्यार।।
चली मैं जब पिया के द्वार।
सजाए खड़ा था महफ़िल
लिए बेशुमार प्यार।।
पलको में सजाए,
हुईं नई जिंदगी की शुरुआत।
मिला सबका आशीर्वाद,
और जीवन में एक अद्भुत साथ।।
हुईं नई जिंदगी की शुरुआत।
मिला सबका आशीर्वाद,
और जीवन में एक अद्भुत साथ।।
हुई जब ज़िमेदारियो से मुलाकात,
खोने लगी वो पुरानी वाली बात ।
छोटी सी नोकझोक पे,
होने लगी बातें दो-चार ।।
खोने लगी वो पुरानी वाली बात ।
छोटी सी नोकझोक पे,
होने लगी बातें दो-चार ।।
था वो साथ,
जो छुपाता था,
मेरी हर गलत बात।।
जो छुपाता था,
मेरी हर गलत बात।।
आज खड़ा है बदला सा,
अपनी हर खाता में,
मुझको इल्ज़ाम से, सजाए ।।
अपनी हर खाता में,
मुझको इल्ज़ाम से, सजाए ।।
है अलग ये इंसान,
जिसे मिली थी पहली बार।
आज होके भी साथ,
कुछ अधूरी सी है बात।।
जिसे मिली थी पहली बार।
आज होके भी साथ,
कुछ अधूरी सी है बात।।
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