इश्क़ में लोगो को,
बदलते हुए देखा है।
खोई हुई राहो पे,
खुद में खोया हुए देखा है ।।
बदलते हुए देखा है।
खोई हुई राहो पे,
खुद में खोया हुए देखा है ।।
लवजो से खामोश,
आंखों से बयां होते देखा है।
प्यार के इन्तज़ार में,
तन्हाई से रूबरू होते देखा है ।।
आंखों से बयां होते देखा है।
प्यार के इन्तज़ार में,
तन्हाई से रूबरू होते देखा है ।।
जुनून के सुलगते अंगारो पे,
एक आशिक को कलाकार बनते देखा है।
मंजिल से दूर,
ख्वाबो से आशिकी करते देखा है।।
एक आशिक को कलाकार बनते देखा है।
मंजिल से दूर,
ख्वाबो से आशिकी करते देखा है।।
बेजुबान वादों में,
खुदसे लड़ता हुआ देखा है।
किसी की चाहत में,
खुद को सवाल बनते देखा है ।।
खुदसे लड़ता हुआ देखा है।
किसी की चाहत में,
खुद को सवाल बनते देखा है ।।
खोए हुए नाम को
शोहरत बनते देखा है।।
किसी आरज़ू को
दूआ बनते देखा है।।
शोहरत बनते देखा है।।
किसी आरज़ू को
दूआ बनते देखा है।।
कोई अधूरी रहा पे,
मंज़िल टटोलते देखा है ।।
इश्क़ में मैंने लोगो को,
युही बदलते हुए देखा है ।।
मंज़िल टटोलते देखा है ।।
इश्क़ में मैंने लोगो को,
युही बदलते हुए देखा है ।।
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