Wednesday, 30 August 2017

"Night Riders-रात की वो टोली"

है रात की वो टोली,
लिए अलग सी बोली ।
करती ख्वाबो से वो,
हररोज आंखमिचोली !!
कोई क़ैदी आशिकी का,
कोई दिनचर्या का मारा ।
कोई लिए जमघट दोस्ती का,
कोई यूहीं तन्हा, बेसहारा।।
है कोई गम से गमहिंन,
आंखों में लिए बातें ।
है कोई ख़ुशी से मदमस्त,
ज़िन्दगी की दास्तां बाटे।।
है परीक्षार्थी भी साथ,
मध्यरात्रि की शरण में ।
लिए नव किरण से पहले,
सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का रट्टा मारे ।।
और है कुछ रचनाकार,
कला की पोटली लिए ।
समाज के शोरगुल से अलग,
रात्रि में अपनी कला को निखारे ।।
है अलग सी ये पहर,
है अलग सी ये दिनचर्या ।
बड़ो की मानसिकता से अलग,
रात्रि में ख्वाबो की खिड़की झांकेे ।।

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